शहीद की दुल्हन -लेखनी प्रतियोगिता -11-Jun-2022
ढोल बजाओ सखियों ढोल बजाओ
संग मेरे नाचो और सबको नचाओ।
तुम्हारी प्यारी सखी बनी है दुल्हन
धरती-अंबर संग झूमे है मेरा मन।
हल्दी के उबटन से रूप है निखरा
कजरारे नैनों में काजल है बिखरा।
हाथों में खनक रहा सुहाग का चूड़ा
देखो अति सुंदर लगे केश का जूड़ा।
सजी है कानों में फूलों की बालियाँ
मिले सौभाग्य हों जो नसीब वालियाँ।
चंदा-चकोर सम आज बंध जाएँगे
स्नेह की डोरी से सबको लुभाएँगे।
ले सात फेरे थामा एक-दूजे का हाथ
सात जन्मों तक छूटे न हमारा साथ।
आशीष संग मैं दुल्हन चली ससुराल
प्रेम लज्जा से मेरे गाल हो रहे लाल।
सुना जब पति की हूँ मैं दुल्हन दूजी
सुन ये बात रो-रो मेरी अखियाँ सूजी।
पहली पत्नी से तब पति ने मिलवाया
देख उनकी फौजी वर्दी दिल मुस्काया।
चाहता हूँ एक वादा बोले मेरे प्रियतम
छूटे मेरा साथ तो जीवन में न हो तम।
नए सिरे से जीवन की करना शुरुआत
वादा करो तुम मानोगी मेरी यह बात।
दुल्हन ने दूल्हे को दे दिया यह वचन
उसकी बातों ने जीता मेरा तन-मन।
आँखों में ले सुहाने सपने मैं हर्षायी
उसी पल दरवाजे पर टेलीग्राम पाई।
धरती माँ का बुलावा संग था आया
पहली दुल्हन संग प्रिय को बुलाया।
रोली तिलक दे माथ हँस किया विदा
दर्द न झलकने दिया हो पति से जुदा।
बीतता गया समय लंबी बड़ी जुदाई
हुआ ख़त्म इंतजार एक पाती आई।
आ न सकूँगा लौट करना पूरा वादा
सधवा बनना वस्त्र ना पहनना सादा।
नवजीवन से रोशन करो सबका नाम
तभी मेरी आत्मा को मिलेगा आराम।
मैंने किया तय चुनूँगी अब मैं दूजा वर
देश हेतु अब करूँगी जीवन न्योछावर।
शहीद की विधवा हो न गुजारुँ जीवन
खाकी से सुशोभित होगा मेरा भी तन।
सफेद रंग न मुझे ना तुम पर लगे चंगा
विदाई जब भी होगी ओढ़ेंगे हम तिरंगा।
पति की शहादत पर टूटने ना दिया मन
सलामी दे गर्व से बनी शहीद की दुल्हन।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नरसिंह हैरान जौनपुरी
13-Jun-2022 01:52 PM
बहुत खूब
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Seema Priyadarshini sahay
12-Jun-2022 05:55 PM
बेहतरीन रचना
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Dr. Arpita Agrawal
12-Jun-2022 07:12 PM
शुक्रिया सीमा जी 😊
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
12-Jun-2022 12:27 PM
👌🏼 👌🏼 लाजवाब लाजवाब जबरदस्त Outstanding
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Dr. Arpita Agrawal
12-Jun-2022 07:11 PM
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शशांक की आपकी इतनी अच्छी प्रतिक्रिया हेतु 💐😊
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